आरएसएस:स्वयंसेवक संघ का देश में योगदान, कार्यशैली एवं उस पर लगे आरोप। What is role of RSS and It's black truth।bharatveer.in

 आरएसएस क्या है : परिचय एवं अवधारणा।what is RSS । bharatveer.in


  RSS भारत का एक  सामाजिक संगठन है।जिसका कार्य भारत में हिन्दू संस्कृति की रक्षा करना एवं  हिन्दुत्ववादी विचाधारा का प्रचार प्रसार करना है। इसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी कहते हैं। वर्तमान में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी हैं।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना: इतिहास एवं पृष्ठभूमि। History, foundation and backbone of RSS 


संघ(RSS) की स्थापना- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में विजयदशमी के दिन केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी।संघ की विचारधारा में हिन्दू राष्ट्रवाद,हिंदुत्व,राम जन्मभूमि एवं राम मंदिर, हिंदुराष्ट्र, अखण्ड भारत आदि जैसे प्रकरण हैं जो युवाओं को एक विशेष मंच की ओर ले जाता है। RSS की जब पहली शाखा लगी तो उसमे केवल 5 सदस्य थे।आज पूरे देशभर में लगभग 56000 शाखाएं प्रतिदिन लगती हैं। शाखाओं में प्रतिदिन व्यायाम,योग,सूर्य नमस्कार, दण्ड प्रदर्शन,राष्ट्र एवं हिंदुत्व के प्रति समर्पण,प्रचार प्रसार आदि विमर्श होते हैं।


पृष्ठभूमि: स्वतंत्रता आंदोलनों के प्रयासों के दो प्रमुख मार्ग थे।एक मार्ग था क्रांतिकारियों का तथा दूसरा मार्ग गांधी जी के अहिंसा आंदोलन का था। डॉ हेडगेवार एवं संघ दोनो से ज्यादा खुश नही थे। गांधी जी से वैचारिक मतभेद थे, क्योंकि गांधी जी का दृढ़ मत था कि मुस्लिमों के बिना स्वतंत्रता की लड़ाई नही लड़ी जा सकती है।मुस्लिमों के तुष्टिकरण हेतु गांधी जी ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया।हेडगेवार ने कांग्रेस से अपना रास्ता अलग कर लिया।हेडगेवार चाहते थे की पूरे भारत में एक ही तरह की क्रांतिकारी आवाज उठे। उनका विचार था कि "इस देश का बहुसंख्यक हिन्दू समाज स्वयं को भारत माता का पुत्र मानता है,तो क्यों न इस समाज को एक संगठित शक्ति के रूप में जोड़ा जाए।


आरएसएस का फुलफॉर्म एवं नामकरण/Nomination and fullform of RSS:-


RSS का फुलफॉर्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(Rastriya Swayamsevak Sangh) है। जिसका अंग्रेजी अनुवाद "National volunteer organization"

नामकरण : आरएसएस(RSS) की स्थापना 27 सितम्बर 1925 को विजयदशमी के दिन हुई थी। इस संगठन का क्या नाम रखा जाय इस पर काफी विचार विमर्श हुआ। नामकरण के समय 26 लोग थे और वोटिंग हुई।संगठन के नाम के लिए तीन नाम सुझाव में था, जिनका नाम क्रमशः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जरीपटका मण्डल और भारतोद्वारक मण्डल।वोटिंग में 26में से 20 सदस्यों ने स्वयंसेवक संघ को मत किया। इस प्रकार संघ का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रखा गया।



RSS का उद्देश्य/Aim of RSS:- 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य उद्देश भारत में हिन्दू संस्कृति की रक्षा करना एवं बहुसंख्यक हिन्दू समाज को मजबूत करके हिंदुत्व का प्रचार प्रसार करना है। संघ समाज सेवा करता है एवं प्राकृतिक आपदाओं में एक दूसरे का यथासंभव सहयोग भी करता है।संघ अपनी शाखाओं में युवाओं को राष्ट्र प्रेम,सेवाभाव, व्यायाम एवं दण्ड आदि का प्रशिक्षण देता है।इसके अलावा राजनैतिक गतिविधियों में भी भागीदारी लेता है।



RSS की रचना व संरचना/stracture strategy of RSS:-


संरचना:- वर्तमान में संघ से सरसंघचालक मोहन भागवत जी हैं।यह सरसंघचालक पद संगठनात्मक रूप से संघ (RSS) का सबसे बड़ा पद होता है।संघ में सरसंघचालक की भूमिका वही होती है जो भारत में राष्ट्रपति की है। मुख्य कार्यकर्ता अधिकारी सरकार्यवाह ही होता है।वर्तमान में पूरे भारतवर्ष में लगभग 56000 संघ की शाखाएं प्रतिदिन लगती हैं।

संघ की रचनात्मक व्यवस्था:-

  1.केंद्र    2. क्षेत्र  3. प्रांत 

4.विभाग   5.जिला  6.तालुका/तहसील  

 7.नगर  8.खंड   9.मण्डल    10.ग्राम   11.शाखा


संघ के कार्य/work of RSS:- 

आरएसएस हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति एवं हिंदुत्व का प्रचार प्रसार करता है।

संघ की शाखाओं में व्यायाम,सूर्य नमस्कार,परेड आदि कराई जाती है।

संघ शिक्षा वर्ग के माध्यम से संघ के विद्यार्थियों को राष्ट्र सेवा,धर्म सेवा एवं समाज सेवा की शिक्षा दी जाती है।

संघ हमेशा हिंदुत्व विचारधारा की समानता को बढ़ावा देता है।

संघ राहत एवं पुनर्वास आदि कार्यों को बढ़ावा देता है,जैसे बाढ़, भूकंप, चक्रवात आदि आपदाओं में पीड़ितों की मदद करता है।



शाखा से अभिप्राय/what are RSS branches:- 

शाखा ही संघ का आधार है। जिसमे किसी सार्वजनिक स्थान पर सुबह शाम 1 घंटे के लिए संघ के कार्यकर्ताओं का परस्पर मिलन होता है।शाखा में प्रतिदिन खेल, योग, सूर्य नमस्कार, गीत एवं बौद्धिक विषयों पर चर्चा होती है।

आरएसएस(संघ) की शाखाएं निम्न प्रकार की होती हैं।

प्रभात शाखा: यह शाखा प्रतिदिन सुबह शाम लगती है इसमें योग प्रार्थना इत्यादि होते हैं।

सायं शाखा: यह शाखा शाम को लगती है।

रात्रि शाखा: यह शाखा रात को लगती है।

मिलन शाखा: सप्ताह में एक या दो बार लगने वाली शाखा को मिलन कहते हैं।

संघ मंडली: जो शाखा महीने में एक या दो बार लगती है उसे संघ मंडली कहा जाता है।

       शाखा में सबसे बड़ा पद कार्यवाह का होता है।


RSS की भारत में कितनी शाखाएं लगती है/daily how many branches work of RSS:-

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) की भारत में लगभग 57000 शाखाएं प्रतिदिन लगती हैं।शाखा में सबसे बड़ा पद कार्यवाह का होता है,तथा उसके बाद पद शिक्षक का होता है। शाखाओं में व्यायाम, परेड इत्यादि होते हैं।


आरएसएस कितने देशों में सक्रिय है/how many countries RSS works:- 

संघ लगभग 50 देशों में कार्यरत है। कुछ देशों में शाखाएं भी लगती हैं। लेकिन वहां पर उनका नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ न होकर भारतीय स्वयंसेवक होता है।


संघ का शिक्षण वर्ग क्या है/what is educationl system of Sangh:-

ये। वर्ग शारीरिक एवं बौद्धिक रूप से राष्ट्र सेवा,धर्म सेवा तथा समाज सेवा की शिक्षा देते हैं। ये निम्न प्रकार के हैं।


दीपावली वर्ग: ये प्रत्येक वर्ष दीपावली के आस पास आयोजित होता है। इसमें तालुका या नगर स्तर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम होता है।

शीत शिविर: ये वर्ग हर साल दिसंबर महीने(हेमंत शिविर) में आयोजित होता है।जो जिला या विभाग स्तर पर आयोजित होता है। ये भी तीन दिवसीय होता है।

निवासी वर्ग: ये वर्ग हर महीने एक दिन का होता है। ये शाखा या नगर पर आयोजित होता है।


संघ शिक्षा वर्ग: संघ शिक्षा वर्ग चार प्रकार का होता है। प्राथमिक वर्ग,प्रथम वर्ष,द्वितीय वर्ष,तृतीय वर्ष।

 प्राथमिक वर्ग _।    1 सप्ताह _  जिला स्तर

 प्रथम वर्ष___ 20 दिन_____ प्रांत

 द्वितीय वर्ष_____20 दिन_____क्षेत्र

 तृतीय वर्ष _____25 दिन_____नागपुर


बौद्धिक वर्ग: ये वर्ग नगर या तहसील द्वारा हर दूसरे या तीसरे महीने आयोजित किए जाते हैं।

शारीरिक वर्ग: ये वर्ग नगर या तालुका द्वारा हर महीने या तीसरे महीने आयोजित होता है।


आरएसएस में सरसंघचालक का चयन एवं पदोन्नति कैसे होता है/How to selection a chief in RSS and pramotions:-


संघ में सरसंघचालक का पद सबसे बड़ा होता है। इस समय संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी हैं, जिनका पूरा नाम मोहनराव मधुकरराव भागवत है। ये संघ के छठवें सरसंघचालक बने हैं।आरएसएस () में सरसंघचालक पद का चुनाव नही होता बल्कि सरसंघचालक ही अपने नए उत्तराधिकारी की घोषणा करता है।

वास्तव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सबसे बड़ा पद संघकार्यवाहक का होता है।


संघ के सहयोगी संघ संगठन/similar organization of RSS:-


1.भारतीय जनता पार्टी

2. विश्व हिंदू परिषद 

3. बजरंग दल 

4. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)

5. सेवा भारती 

6. सहकार भारती 

7. स्वदेशी जागरण मंच 

8. हिंदू जागरण मंच 

9. हिंदू स्वयंसेवक 

10. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

11. राष्ट्रीय सिक्ख संगत 

12. वनवासी कल्याण मंच 


राजनीति में स्वयंसेवक संघ(RSS) की भूमिका/Politics affairs of RSS:-


अगर बात राजनीति की हो और उसमे संघ की बात न हो ऐसा हो ही नही सकता। RSS भले ही स्वयं को गैर राजनीतिक संगठन बताता हो; खुद को सामाजिक,धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में काम करने का दावा करता हो। लकी भारत की राजनीति में वह एक बड़ी ताकत के रूप में अप्रत्यक्ष रूप में कार्यरत है।

वर्तमान समय में देश संवैधानिक एवं राजनैतिक पदो पर ज्यादातर संघ के लोग ही हैं।

आरएसएस प्रत्यक्ष रूप में राजनीति में हिस्सेदारी नहीं लेता और न ही चुनाव लड़ता है।फिर भी राजनीति में उसका काफी हस्तक्षेप है।


संघ का राजनैतिक (बढ़ाव)/ : भारत में इमरजेंसी के समय संघ संचालित पार्टी जनसंघ ने अपातकाल का बहुजोर विरोध किया था।यही जनसंघ आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी में परिवर्तित हो गया।यही भाजपा सन 2000 में केंद्र में NDA के रूप में सरकार बनाई और अटल बिहारी बाजपेई जी देश के प्रधान मंत्री बने। तथा 2014 में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी जी स्वयं स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता हैं। 2014 के बाद संघ का कद काफी बड़ा हो गया है।चाहे राजनीतिक पद हो या संवैधानिक हर जगह RSS का ही बरचश्व है।



संघ से निकले प्रसिद्ध राजनेता(Top RSS leader in politics):-


वर्तमान के कई राजनेता संघ परिवार से ही संबंधित हैं जैसे नरेंद्र मोदी, वंकैया नायडू,भूतपूर्व राष्ट्रपति आर नाथ कोविंद, अटल बिहारी वाजपेई,देवेंद्र फडणवीस, नितिन गडकरी, केशव प्रसाद मौर्य और अमित शाह इत्यादि।


आरएसएस(संघ) से जुड़ने के फायदे/benifit to Join RSS:-


1.हिंदू धर्म और राष्ट्र के लिए बड़े स्तर पर काम कर सकते है।

2. संघ में जुड़ने से आपको पद एवं सम्मान की प्राप्ति होती है,विभिन्न प्रकार के लोगो से भेंट मुलाकात होती है।

3.भारत में विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करने का अवसर मिलता है।

4. क्योंकि आपके पास एक बड़ा संगठन है आप एक समान विचारधारा की राजनैतिक पार्टी। भी बना सकते हैं।

5. विचार विमर्श करने के लिए आपको एक बड़ा मंच भी मिलता है जहां आप अपनी बात को रख सकते हैं। यदि आपकी बात उचित और तर्कशील है तो लोग आपका समर्थन भी करेंगे।

6. जब आपको क्षेत्रों में संघ का काम करने का मौका मिलता है तो आपके व्यक्तित्व का विकास होता है।जब आप नए लोगों से मिलते हैं तो नए नए अनुभव मिलते है।

7.संघ में प्रतिदिन व्यायामशाला होती है इससे आपका शरीर स्वस्थ एवं दुरुस्त रहता है। आपको फ्री में आत्मरक्षा प्रशिक्षण भी मिलता है।

8. संघ की जो अन्य तमाम शाखाएं है जैसे विद्या भारती, सेवा भारती आदि में कार्य करने का मौका मिलेगा।

9. संघ खुद एक विशाल परिवार हैजिस्मे आपकी ही विचारधारा के करोड़ों लोग मिलेंगे। संघ हमें आपके साथ खड़ा मिलता है।

भारत में संघ RSS द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान:-

1. कश्मीर सीमा पर निगरानी: 1947 को भारत विभाजन के समय संघ के स्वयंसेवकों ने कश्मीर सीमा पर निगरानी भी किया।यह कार्य भारत सरकार और कश्मीर के राजा हरि सिंह को करना चाहिए थी। उस समय जब पाक सेना की एक टुकड़ी कश्मीर सीमा में घुसने की कोशिश कर रही थी तो भारतीय सेना के साथ कई संघी स्वयंसेवक भी शहीद हुए थे। विभाजन के दंगे से नेहरू सरकार और राजा हरि सिंह दोनो ही परेशान थे।

2. 1962 युद्ध के समय मदद: भारत चीन युद्ध 1962 के समय भी संघ का कार्य काफी सराहनीय रहा है।संघ के स्वयंसेवकों ने जिस तरह से भारतीय सेना की मदद की जैसे सेना के आवागमन मार्गो की निगरानी करना,प्रशासन की मदद करना,सैन्य रसद एवं आपूर्ति में काफी मदद किया।

संघ के इस सरहनीय कार्य के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 26 जनवरी 1963 को होने वाली परेड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आमंत्रित किया। गणतंत्र दिवस के उस परेड में लगभग 3500 स्वयंसेवक सम्मिलित हुए।


3.कश्मीर का भारत में विलय: 

कश्मीर के राजा हरि सिंह ये फसला नही कर पा रहे थे की भारत के साथ विलय हो जाए या पाक के साथ रहे।लेकिन उधर पाकिस्तानी सेना आम व्यक्ति के भेष में कश्मीर में घुसती चली आ रही थी।इधर इसी घटना से नेहरू सरकार भी परेशान थी ।तब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने संघ गुरु गोलवरकर को श्रीनगर भेजा। गोलवरकर राजा हरि सिंह से मिले,हरि सिंह ने भारत में विलय का प्रस्ताव पत्र दिल्ली भेज दिया।


4. 1965 के युद्ध के समय कानून व्यवस्था में मदद: भारत पाक युद्ध 1965 के समय संघ ने कानून एवं यातायात व्यवस्था संभाली।जिससे की इन कार्यों में लगे पुलिसकर्मियों को सेना के मदद में लिया जा सके। युद्ध के समय सड़को एवं हवाईपट्टी पर जमी बर्फ को हटाने का काम भी किया।

5. गोवा का भारत में विलय में भूमिका: गोवा, दादरा एवं नगर हवेली को भारत में विलय करवाने में संघ की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 21 जुलाई 1954 को दादरा एवं 28 जुलाई को नरौली,पिपरिया, राजधानी सिलवासा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया।2 अगस्त 1954 को संघ के स्वयंसेवकों ने दादरा एवं नगर हवेली को पुर्तगालियों से आजाद करवाकर भारत को सौंप दिया और वहां पर भारत का ध्वज फहरा दिया।

1955में गोवा मुक्ति संग्राम में संघ के स्वयंसेवक सम्मिलित थे।जब जवाहरलाल नेहरू जी ने गोवा के लिए सैनिक हस्तक्षेप में असहमति दिखाई तो, संघ नेता जोशी ने स्वयंसेवकों को लेकर गोवा में एक आंदोलन शुरू कर दिया।फलस्वरूप भारतीय सेना ने गोवा में हस्तक्षेप किया और 1961 में गोवा को आजाद करा लिया गया।

6. आपातकाल का विरोध: इंदिरा के शासनकाल में आपातकाल के खिलाफ संघर्ष एवं जनता पार्टी के गठन में संघ ने भूमिका निभाई है।अपातकाल में हजारों स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी के बाद संघ के स्वयंसेवकों ने भूमिगत हो आंदोलन शुरू किया।जगह जगह पर सड़को एवं गलियों चौराहों में इमरजेंसी के खिलाफ पोस्टर चिपकाकर जनता तक सूचना पहुंचने का कार्य संघ ने किया। जब अपातकाल में संघ के सारे नेता जेल में थे तो विपक्षी पार्टियों को आपस में विलय कर जनता पार्टी का गठन करवाने की कोशिश संघ ने ही किया।

7. आरएसएस (संघ) के कई सारे अनुशांगिक या समानार्थी संगठन भी है जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करते है।जैसे सेवा भारती, विद्या भारती,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, बनवासी कल्याण आश्रम। आज विद्या भारती के लगभग 20000 से अधिक स्कूल चलते हैं। केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सरस्वती शिशु मंदिरो में भी लगभग 30 लाख से अधिक छात्र छात्राएं पढ़ते हैं। सेवा भारती देश के दुर्गम क्षेत्रों में सेवा एवं सहयोग कार्य करता है।

8. राहत एवं सेवा कार्य: देश में आयी हुए विपदा मे भी आरएसएस(संघ) की उपस्थिति हमे दिखाई पड़ती है। जैसे 1971में उड़ीसा में आया भयंकर चक्रवात, भोपाल गैस त्रासदी,गुजरात में आया भूकंप,सुनामी,उत्तराखंड में आयी बाढ़ आदि में संघ ने बढ़चढ़ के हिस्सा लिया और अपनी सेवाएं दिया।


आरएसएस(संघ) पर लगे आरोप एवं आलोचनाएं/Blame and criticisms on RSS:-


सावरकर 

1. राष्ट्र का विभाजन: सावरकर ही वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ये कहा था की भारत को हिंदू और मुसलमान के आधार पर दो राष्ट्र में बांट देना चाहिए। 1937 में हिंदू महासभा के 19वे अधिवेशन में सावरकर ने ऐसा बयान दिया था की उस समय मुसलमान विरोधी माहौल बना दिया गया था।मुसलमानो का अलग देश बन सकता है यह विचार संघ के विचारक सावरकर ने दिया।


सावरकर; वीर या माफीवीर: ये अजीबोगरीब कहानी है कि सावरकर को वीर सावरकर कहा जाय या माफीवीर सावरकर। एक तरफ अटल बिहारी बाजपेई जी सावरकर को संघर्ष, त्याग, तप और देशभक्त की परिभाषा बताते हैं तो दूसरी तरफ राहुल गांधी जी सावरकर के माफीनामा को दिखाते हैं।बताते हैं कि किस तरह सावरकर ने जेल में रहते हुए अंग्रेजो से माफी मांगी और उसे बाद में मुखबरी करने के लिए मासिक पेंशन भी मिलने लगी थी। वहीं आरएसएस के लोग सावरकर को अपना आईडियल मानते हैं।


सावरकर का हिंदुत्वा: सावरकर कट्टर hindutwadi विचारधारा वाला व्यक्ति है। वह मानता था की जिनका धर्म स्थल भारत में है वे सभी भारतीय सनातनी है तथा जिनके धर्म स्थल भारत में नही है वे विदेशी हैं। जैसे मुस्लिमों का धर्म स्थल मक्का काबा(सऊदी अरब) में है तथा ईसाइयों (जीजस) का भी धर्म स्थल बाहर है।


भारतीय सेना को बाटने की कोशिश: सन 1950 में भारत को बाटने की साजिश हुई सिक्ख आर्मी चीफ बनाम दक्षिणी मद्रासी आर्मी चीफ। हलचल ये हुई कि कोई दक्षिण भारतीय मद्रासी सेना का चीफ कैसे बन सकता है? उस समय भारत के नये नये आर्मी चीफ जनरल करियप्पा बनाए गए थे। उस समय कई लोग उनकी हत्या का प्रयास भी करते हैं। अगर उस समय आर्मी के अंदर उत्तर दक्षिण का तनाव हो जाता तो हमारे देश का रक्षा तंत्र टूट जाता। भारत आजाद होने के बाद पुनः अपने ही देश में विवादो के खड़ा हो जाता।

गांधी जी की हत्या: 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या हुई। नाथूराम गोडसे ने गांधी जी पर गोली चलाई। सावरकर ने हत्या से पहले गोडसे को यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया था। 1961 में एक कर्पूर आयोग बना जिसने छानबीन की और रिपोर्ट निकाला गांधी जी की हत्या की दो साजिशें हुई। पहली असफल रही जो 20 जनवरी 1948 को प्रयास की गई उस समय हत्यारे जो शस्त्र लाए थे वो प्रैक्टिस में ही असफल हो गए थे, इसलिए उस दिन उन लोगों ने हमला नही किया।

           लेकिन 30 जनवरी शाम 5:15 को प्रार्थना सभा में गांधी जी जैसे पहुंचे तो वहीं पर गोडसे ने महात्मा गांधी के पैर छुए और धक्का देकर, अपनी रिवालवार निकालकर गोली चला दी।गांधी जी कुछ ही क्षणों में हे राम कहकर प्राण त्याग दिए। गोडसे वहां से हत्या के बाद भागा नहीं बल्कि आत्मसमर्पण कर दिया।

    गांधी जी की हत्या के कुल दस आरोपी थे एक ने गवाही भी दिया लेकिन सबूतों के अभाव में न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया।

राष्ट्रीयध्वज तिरंगे को न मानने वाले: RSS के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीयध्वज तिरंगे का बहिस्कार किया वो चाहते थे की भगवा ध्वज ही राष्ट्रीय ध्वज बने।वे तीन रंगों वाले तिरंगे को अनिष्टकारी बताते हैं। शायद इसी कारण से आजादी के 70 सालों बाद तक राष्ट्र ध्वज तिरंगे को अपने किसी भी ऑफिस या दफ्तर में नही फहराया।


लोकतंत्र व संविधान में विश्वास न करने वाले: संघ की विचारधारा ने कभी भी भारतीय संविधान को हृदय से स्वीकार नही किया। वे अभी भी मनुस्मृति में ही लगाव रखते हैं। वे संविधान में दिए गए अधिकारों को भी स्वीकार नही करते हैं। वे आरक्षण का भी विरोध करते है। फिर भी उन्हें आरक्षण के बारे में पूरी जानकारी रखनी चाहिए की आरक्षण क्यों जरूरी है। वो चाहते हैं कि सविधान बदला जाए और वही पुराना शासन विधान लागू हो, देश के कुछ अमीरचंद शासक वर्ग के लोग ही शासन करें।

संघ को कब एवं क्यों बैन किया गया/Why and when banned RSS :-


पहला प्रतिबंध: संघ पर प्रथम प्रतिबंध गांधी जी हत्या के बाद लगाया गया। जब 30 जनवरी 1948 शाम को गोडसे द्वारा गांधी जी की हत्या की जाती है और नाथूराम गोडसे का संबंध RSS संघ से मिलता है तो तुरंत ही आरएसएस को बैन कर दिया जाता है। हत्या के आरोपियों के खिलाफ सबूत न उपलब्ध होने के कारण उन्हें न्यालय द्वारा बारी कर दिया जाता है और कुछ ही सालों बाद कई शर्तो पर RSS से प्रतिबंध हटा लिया जाता है।


दूसरी बार प्रतिबंध:संघ पर दूसरी बार बैन इंदिरा गांधी के आपातकाल के समय लगाया । जब 1975 में इंदिरा गांधी के समय आपातकाल लागू हुआ तो आरएसएस के लोगों ने विरोध किया। विरोध के चलते संघ के कई बड़े बड़े पदाधिकारियों को जेल में डालना पड़ा। 1977 में चुनाव का चुनाव इंदिरा गांधी हार गईं और जनता पार्टी की जीत हुई। फिर जनता पार्टी द्वारा संघ पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया गया।

तीसरा प्रतिबंध:संघ पर तीसरी पर बैन 1992में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय लगाया गया। इस बार केवल छः माह के लिए बैन किया गया।

RSS (संघ) से जनता के सवाल:

 आरएसएस(rss) की स्थापना 1925 में नागपुर में विजयदशमी के दिन हुई तभी से यह संगठन भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने के मिशन में लगा हुआ है। rss केवल वैचारिक तौर पर  हिंदुत्व को धर्म नही बल्कि भारतीय संस्कृति, जीवन शैली कहता है।

      लेकिन व्यवहार में राममंदिर, धर्मांतरण, मुस्लिम तुष्टिकरण, गौहत्या, कॉमन सिविल कोड जैसे ठोस धार्मिक मुद्दों में सक्रिय रहता है जो साम्प्रदायिक तनाव का कारण बनते हैं।

 1. आरएसएस का प्रमुख हमेशा कोई ब्राह्मण ही क्यों बनाया जाता है अभी तक कोई दलित, आदिवासी, ओबीसी या महिला को प्रमुख क्यों नही बनाया गया। [राजेंद्र प्रसाद इकलौते गैर ब्राह्मण, संघ प्रमुख बने वो भी सवर्ण]

2. RSS जातिगत आरक्षण की समीक्षा क्यों कराना चाहता है जाति की समीक्षा क्यों नहीं?

3.क्या सावरकर ने जेल से छूटने के लिए माफी मांगी थी? वह माफीनामा दस्तावेज के रूप में मौजूद है

4. नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या क्यों ?

5. आरएसएस राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को स्वीकार क्यों नही करता है? भगवा ही क्यों?

6. मकरसंक्रांति के दिन दलित बस्तियों में समरसता भोज आयोजित करवाते हैं, लेकिन छुआ छूत,शोषण, वर्ण व्यवस्था पर चुप क्यों रहते हैं?

7. जब आदिवासी और दलित उनके व्यवहार में फिट नहीं हो पाते और पूंछ लेते हैं कि अगर हम हिंदू हैं तो अछूत कैसे हो गए?

8. भारत हिंदू राष्ट्र क्यों बने? धर्म निरपेक्ष भारतीय सवैंधनिक राष्ट्र क्यों नहीं। जिसमे गैर हिन्दू भी अपनी जीवन पद्धति वाले भी रह सकें। भारत के सभी धर्म हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई जैन बौद्ध पारसी आदि धर्म अपने अपने संस्कृति के हिसाब से रह सकें।


भंवर मेघवंशी की किताब "मैं एक कारसेवक था" का संक्षिप्त परिचय:

भंवर मेघवंशी राजस्थान के सामान्य व्यक्ति थे वे संघ rss की शाखाओं एवं इनके अन्य सहयोगी संगठनों में जया करते थे। इनकी मेहनत और लगन को देखकर इन्हे जल्द ही संघ का प्रांत प्रचारक बना दिया गया। शाखाओं में इन्हे हर प्रकार की ट्रेनिंग दी गई और एहसाह दिलाया गया कि यहां पर कोई जातिवाद जैसी बात नही होती है यहां पर सभी एक तल पर बराबर होते हैं। एक बार इन्होंने संघ के शीर्ष अधिकारियों को अपने यहां निमंत्रण में भोजन हेतु बुलाया, सभी पदाधिकारी आए खाए तो नही किंतु भोजन को पैकेट के रूप में पैक करा के ले गए और बताया की रास्ते में खा लेंगे दूसरी जगह भी जाना है।













SUNIL KUMAR

Hello Friends! my name is Sunil Kumar, founder of Bharatveer.in. I am 23years old, and live in India, U.P.,Ayodhya. Currently I write on meta topic Such as Health,Tech, Personality,India love and Jobs & carriar.

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